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क्या हमने फिर दामिनी को रुला दिया?

16 दिसम्बर को लगभग एक हफ्ता बीत चुका है | Exams में व्यस्त होने की वजह से मैंने उस दिन Facebook, Twitter की News-feed और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के Updates भी नहीं देखे, क्यूंकि मन में हजारों अनसुलझे सवाल थे, जिसमे अगर फस जाता तो Exams देना भी मुश्किल हो जाता |
Digital Communication के Exam से निकलते ही ज्ञात हुआ की हमारा कॉलेज भी दामिनी रेप केस के खिलाफ Protest में Human-Chain फार्मेशन कर रहा है | और कुछ इसी तरह खबरें पूरे जबलपुर से मिल रहीं थी |
हज़ारों Students सड़कों में थे, कुछ हँसते-खिलखिलाते हुए, कुछ दोस्तों के साथ कॉलेज को, देर तक रोकने के लिए, गालियाँ देते हुए तोह कुछ ऐसे भी थे जो Human-Chain बनाने के लिए लड़कियों के हाथो को तलाश रहे थे | वे सभी मेरी विनर्म संवेदना स्वीकार करें | क्यूंकि हम सब जो कर रहे थे, वह मेरी सोच के आधार पर किसी काम का नहीं था, इसलिए अपने सहपाठियों के इस व्हाव्हार पर कटाक्ष करने के की जगह मैने भी हलके फुल्के मूड में सब कुछ नजर-अंदाज करना करना ही ठीक समझा |

ताज्झुब की बात ये है की आज भी लोग सोचते हैं की इस तरह के Protest से कुछ फर्क पड़ने वाला हे! कैंडल-मार्च , मानव श्रंक्ला और ये सब कुछ सिर्फ एक दिखावा है | इसलिए हमने फिर दामिनी को रुला दिया | और कितने साल तक करेंगे आप Protests ..ये दिखावा किस काम का था?? हास्यप्रद बात तो यह हे की यह Initiative किसी NGO का नहीं था, बल्कि जबलपुर के माननीय कलेक्टर साहब का था .. या उनके किसी उच्च-अधिकारी का रहा होगा.. यह वही कलेक्टर हैं जिन्होंने ६ अगस्त को जबलपुर के तमाम Colleges और Schools से आये हुए छात्र-छात्रों से मिलना भी जरुरी नहीं समझा था.. शायद उनकी गलती सिर्फ इतनी थी की वे किसी Political-Party के झंडे लेके नहीं आये थे.. Students का रोष देखने के बाद जब एडमिनिस्ट्रेशन के हाँथ-पैर फूलने लगे तो Representative के तौर पर SDM को भेजा गया था |

इस बात में कोई दो-राय नहीं हे की एक IAS होने के नाते कलेक्टर साहब आप हमारी सोच से भी ज्यादा पढ़े-लिखे और Experienced हैं, पर अगर उस दिन आप खुद २ मिनिट के लिए सबके सामने आ जाते तो उन लड़कियों के अन्दर का Confidence कई गुना बढ़ जाता .. खैर फिर भी हम आपका शुक्रिया अदा करते हैं की हम क़ानूनी तौर पर नासमझ बच्चों पर धारा १४४ तोड़ने पर आपने कोई कार्यवाही नहीं की .. यह गुजारिश है आपसे की जबलपुर की जनता के लिए कुछ ऐसा कर जाइए जिससे लोग आप को ताउम्र याद रक्खें .. अब ख़त्म करें ये दिखावे के किस्से और Women-Security पर कुछ ठोस कदम उठाएं.. हमें आपसे उम्मीद है ...इसे टूटने न दें |

अब बात करें उस दर्दनाक दामिनी हादसे की, तो क्या एक साल बीत जाने के बाद भी समाज में कुछ फर्क पड़ा है? इस सवाल का उत्तर ज्यदातर लोग 'ना' में ही देंगे पर मेरी सोच उसने थोड़ी भिन्न है,,,पिछले कुछ महीनो में कुछ बड़े नाम Sexual-Harassment में सामने आयें हैं, जिसमे मीडिया के वरिष्ट व्यक्ति तरुण तेजपाल, NIFT के कुछ Administrative Officers और Judiciary के जस्टिस गांगुली का नाम तक सामने आया है |
ऐसा बिलकुल नहीं हैं की ये पहली बार हुआ है, Sexual-Harassment लम्बे समय से चलता आ रहा है...पर नयी और Positive बात यह है की अब ये मामले सबके सामने आ रहे हैं.. और अब ये लोग थोड़ा तो डरेंगे ही...इसका सदा उदाहरण है, केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला का वो बयान जिसमे वो यह कह रहे हैं की अब उन्हें लड़कियों से बात करने में भी डर लगता हे.. अब्दुल्ला साहब बस नज़रों में खोट मत रखिये, फिर कभी डर नहीं लगेगा..!!

इस Positive Change से में थोड़ा खुश हूँ....और दामिनी से ये वादा करता हूँ की मेरी उपस्थिति में , भले ही मै चाहे कहीं भी रहूँ पर किसी के साथ कुछ गलत नहीं होने दूंगा.. शायद हम सब अगर सिर्फ इतना ही करलें तो दामिनी को दिखावे की श्रधांजली से ज्यदा प्रसन्नता होगी..|


सोचिएगा जरुर..

जय हिन्द ||

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